होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
जय जय राम अर्थ : जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है ,वही होगा हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।
होगा वही जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावहीं साखा ! पापी कौन सों राम फल चाखा, राम अनादि विराजें हर भाखा !! समिश्रा *
अब इंडिया का मैच कब है डॉ मुक्ता राखा” होई है वही जो राम रचि राखा रामचरित मानस की यह पंक्तियाँ सर्वथा सार्थक
फ्री में पैसे कमाने वाला गेम कौन सा है बिना राम की इच्छा के पत्ता भी नहीं हिलता। जब राम बिमुख हों तो भगवान शिव की बात भी सती को समझ में नहीं आ सकती। इसीलिए शिव
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